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दिल्ली में हलवाई बनकर रह जाते करण जौहर, अगर दादी नहीं लेतीं ये फैसला

करण जौहर के पापा यश जौहर प्रोड्यूसर बनने से पहले, लंबे समय तक फिल्म इंडस्ट्री में बतौर एक्सिक्यूटिव प्रोड्यूसर काम किया करते थे. लेकिन इंडस्ट्री में आने से पहले करण जौहर का परिवार क्या करता था ये कोई भी नहीं जानता. हाल ही में सोनी टीवी के नए कॉमेडी चैट शो ‘आपका अपना जाकिर’ में करण जौहर ने अपने पुराने फैमली बिजनेस के बारे में दिलचस्प खुलासा किया. करण जौहर की बातों से पता चला कि देश के ये मशहूर निर्देशक महज हलवाई बनकर रह जाते, अगर उनकी दादी एक बड़ा फैसला नहीं लेतीं.

करण जौहर ने बताया,”मुझे जिंदगी में कभी ऐसा नहीं लगा कि मैंने बॉक्स ऑफिस पर कमाल कर दिखाया. मुझे हमेशा ये डर सताता है कि मेरी फिल्म डूब जाएगी, पैसे चले जाएंगे, मैं रास्ते पर आ जाऊंगा. रोज मैं यही सोचता हूं, क्योंकि मैं प्रोड्यूसर का बेटा हूं. मेरे पापा प्रोडक्शन कंट्रोलर थे. लगभग 30 साल उन्होंने प्रोडक्शन कंट्रोलर का काम किया था. बहुत सारे बड़े निर्देशकों के साथ पापा ने काम किया था. लेकिन तब वो प्रोड्यूसर नहीं थे.”

फ्लॉप हुईं थीं फिल्में

आगे करण जौहर ने कहा,”जब वो (मेरे पापा) प्रोड्यूसर बनें, तब उन्होंने ‘दोस्ताना’ बनाई. बहुत सारा लोन लेकर उन्होंने वो फिल्म बनाई थी और वो फिल्म चल भी गई थी. दोस्ताना हिट होने के बाद पापा ने बहुत सारी फिल्में बनाईं और वो सारी फिल्में फ्लॉप हो गईं. जब फिल्में नहीं चलतीं तब इंडस्ट्री का एक अलग रिएक्शन देखने को मिलता है. मुझे याद है कि जब हमें फिल्म प्रीमियर के इनविटेशन मिलते थे, तब फिल्म इंडस्ट्री के लोग स्टॉल में बैठकर फिल्में देखते थे, क्योंकि उस जमाने में मल्टीप्लेक्स नहीं थे. तब पापा को फिल्म के प्रीमियर में आगे की वो सीट दी जाती थी, जो सबसे खराब सीट होती थी. मैंने पापा की आंखों में वो दुख देखा है. अगर आपको इज्जत नहीं देनी तो बुलाओ ही मत. उन्हें इस फेलियर के साथ देखना बड़ा दुखद था.”

अपने पापा को मिस करते हैं करण

भावुक करण जौहर ने शेयर किया कि अगर आज पापा होते तो वो मेरे लिए बहुत खुश होते. मैं सिर्फ इस बात से दुखी हूं कि वो बहुत जल्दी चले गए. 1998 में मेरी फिल्म रिलीज हुई थी और वो 2004 में इस दुनिया से चले गए. उन्होंने मेरा सिर्फ 5 या 6 साल का सफर देखा है. मुझे इस बात का दुख आज भी है कि जब धर्मा प्रोडक्शन का सबसे अच्छा दौर चल रहा था तब मेरे पापा मेरे साथ नहीं थे.

हलवाई बनकर रह जाते करण जौहर

दरअसल जौहर परिवार की दूसरी पीढ़ी हैं, जो फिलहाल बॉलीवुड में एक्टिव हैं. इस बारे में दिलचस्प खुलासा करते हुए करण जौहर ने बताया कि उनका परिवार दिल्ली से है और दिल्ली में उनका मिठाई बनाने का फैमिली बिजनेस था. ‘नानकिंग स्वीट’ उनकी दुकान का नाम था. करण जौहर की दादी ने उनके पापा की फोटोग्राफी में दिलचस्पी को देखते हुए उनके सपने को पूरे करने का फैसला लिया. जिस दिन करण के पापा यश जौहर दुकान के गल्ले पर बैठने वाले थे उस दिन उनकी दादी ने उनसे कहा कि तुम यहां से भाग जाओ, क्योंकि तुम यहां रह गए तो जिंदगी भर यही करते रह जाओगे. तुम्हारे पापा को मैं समझा दूंगी. यानी अगर करण जौहर की दादी ने उनके पापा को घर से भागने की सलाह न दी होती तो करण जौहर दिल्ली में हलवाई बनकर रह जाते.

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