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जिगर मुरादाबादी

हकीम से कैसे रूहदार गीतकार बन गए मजरूह सुल्तानपुरी

  जब के एल सहगल गाते हैं कितना नाजुक है दिल …तो दर्द आंखों का रास्ता अख्तियार कर लेता है…तलत साहब जब शाम ए गम की कसम गाते हैं तो एक खुमारी सी
gulzar sahab हैप्पी बर्थडे सचिन