आशीष विद्यार्थी बॉलीवुड का एक जाना पहचाना नाम…जी हां साउथ से लेकर बॉलीवुड तक, कई फिल्मों में खूंखार विलेन का किरदार निभाकर लोगों के ऊपर अपनी उम्दा अदाकारी की गहरी छाप छोड़ने वाला कलाकार…आशीष विद्यार्थी का जन्म 19 जून 1962 में हुआ था। उन्होंने हिंदी के साथ-साथ तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़ और बंगाली भाषा में भी कई फिल्मों में काम किया। अधिकतर फिल्मों में इस अभिनेता ने विलन की भूमिका निभाई।आशीष विद्यार्थी ने सरनेम विद्यार्थी अपने पिता से लिया था, और पिता ने यह सरनेम क्यों रखा था, इसके पीछे की दिलचस्प किस्से हैं। दरअसल आशीष के पिता गोविंद विद्यार्थी ने यह सरनेम फ्रीडम फाइटर और महान पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी को सम्मान देने के लिए रखा था। कहा जाता है कि गोविंद अपनी युवावस्था में अक्सर गणेश शंकर विद्यार्थी का रोल निभाया करते थे। किरदार निभाते-निभाते उनके मन में वैसा ही बनने की इच्छा जागी और उन्होंने अपने नाम के आगे विद्यार्थी सरनेम लगा लिया। वहीं पिता के सरनेम को आशीष ने भी अपनाया।
एक अच्छे अभिनेता होने के साथ-साथ आशीष विद्यार्थी मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं। अपने करियर में लगभग सभी भाषाओं में 250 से ज्यादा फिल्मों में काम किया।हिंदी सिनेमा से लेकर साउथ सिनेमा तक अपनी पहचान बनाई। आशीष विद्यार्थी का जन्म कुन्नूर केरला में हुआ था। उनके पिता गोविन्द विद्यार्थी एक मलयाली आर्टिस्ट हैं और उनकी माता राबी एक मशहूर कत्थक डांसर थीं। आशीष विद्यार्थी ने अपनी शुरूआती पढ़ाई कुन्नूर केरला से की थी। लेकिन 1969 में वो दिल्ली आ गए और वही से इस अभिनेता ने अपनी आगे की पढ़ाई पूरी की। आशीष विद्यार्थी ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत थिएटर से की थी। एक समय ऐसा था जब वो दिल्ली में थिएटर करते थे और वहां पर उन्होंने खूब नाम कमाया।
आशीष विद्यार्थी ने अपने करियर की शुरुआत कन्नड़ फिल्म ‘आनंद’ से की थी। लेकिन सन 1991 में उन्हें फिल्म काल संध्या से बॉलीवुड में ब्रेक मिला। इस फिल्म के बाद इस अभिनेता ने कभी पीछे पलट कर नहीं देखा। उसके बाद आशीष विद्यार्थी ने 1942: अ लव स्टोरी, सरदार, बिच्छू, सरदार, द्रोखल, बर्फी, बाजी, नाजायज जैसी कई फिल्मों में काम किया। हिंदी फिल्मों के अलावा उन्होंने AK-47, वन्दे मातरम, सैनिक, नंदी जैसी कई कन्नड़ फिल्मों में काम किया। फिल्मों के अलावा उन्होंने टेलीविजन में भी कई शोज किए।आशीष विद्यार्थी ने अपने फिल्मी करियर में कई फिल्में की। लेकिन अधिकतम फिल्मों में इस अभिनेता ने विलेन की भूमिका निभाई। ये अभिनेता बॉलीवुड के बेहतरीन खलनायकों की लिस्ट में शुमार हैं। आशीष विद्यार्थी ने बिच्छू, हसीना मान जाएगी, कहो ना प्यार है, जोड़ी नंबर 1 और जिद्दी जैसी फिल्में शामिल हैं। इस अभिनेता को नकारात्मक भूमिका में दर्शकों ने खूब पसंद किया।
आशीष विद्यार्थी बहुत ही उम्दा कलाकार हैं। कहते हैं कि एक बार शूटिंग के दौरान आशीष विद्यार्थी डूबते डूबते बचे थे .. एक बार छत्तीसगढ़ में वो अपनी फिल्म ‘बॉलीवुड डायरी’ की शूटिंग कर रहें थे। उनकी शूटिंग महमरा एनीकट के पास चल रही थी जहां उन्हें पानी में उतरना था। इस दौरान आशीष इतने अधिक गहरे पानी में चले गए कि वह सच में डूबने लगे। वहां पर मौजूद लोगों ने उन्हें डूबते हुए देखा, लेकिन उन्हें लगा कि वो फिल्म का सीन है। ये सोचकर कोई उन्हें बचाने के लिए आगे नहीं आया। बाद में पुलिस ने आकर इस अभिनेता की जान बचाई। वैसे तो बॉलीवुड फिल्मों में होता आ रहा है कि आखिर में हीरो की जीत होती है और विलेन की मौत। आशीष भी अधिकतर अपनी फिल्मों में विलेन का किरदार ही निभाते हैं। ऐसे में हीरो के हाथ उनकी मौत पहले से ही तय होती है। अब तक उन्हें फिल्मों में 182 बार मौत मिल चुकी है।
आशीष विद्यार्थी हाल ही में अपनी दूसरी शादी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सुर्खियां बटोरी । 60 साल की उम्र में अभिनेता ने रूपाली बरुआ से दूसरी शादी रचाई है, जो सोशल मीडिया से लेकर हर तरफ चर्चा का विषय बनी ..अभिनेता ने अपनी शादी को संबोधित करते हुए एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर किया था। उन्होंने एक वीडियो में कहा..मैं रूपाली बरुआ से मिला। हमने चैट करना शुरू किया फिर एक साल पहले मिले। हमने एक-दूसरे में कुछ दिलचस्प महसूस किया और सोचा कि हम पति-पत्नी के रूप में साथ-साथ चल सकते हैं। इसलिए रूपाली और मैंने शादी कर ली। वह 50 की है और मैं 57 का हूं, 60 का नहीं, लेकिन उम्र मायने नहीं रखती मेरे दोस्त
आशीष विद्यार्थी की पहली शादी थिएटर आर्टिस्ट और सिंगर राजोशी बरुआ से हुई थी. हालांकि काफी समय पहले ही दोनों का तलाक हो गया था. वहीं अब 60 साल की उम्र में एक्टर ने दूसरी शादी रचाई है.आशीष विद्यार्थी अपने होने के साथ-साथ एक मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं। वो लगातार लोगों के बीच जागरूकता फैलाते हैं और सामाजिक कार्यों के लिए कार्यरत रहते हैं। आशीष विद्यार्थी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।