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बॉलीवुड की दूसरी ‘लता’ सुमन कल्याणपुर

​​​​​एक शानदार सिंगर और अनोखी आवाज़ की मल्लिका..सुरीली और मधुर आवाज से लाखों लोगों का दिल जीतने वाली गायिका..म्यूजिक इंडस्ट्री को ऊंचाईयों पर पहुंचाने में इस गायिका ने काफी योगदान दिया है

पुराने जमाने के उनके गीत आज भी काफी मशहूर है..जी हां हम बात कर रहे हैं गायिका सुमन कल्याणपुर की..लोकप्रिय गानों को आवाज देने के बावजूद सुमन कल्याणपुर को उनकी असल पहचान नहीं मिल पाई

सुमन कल्याणपुर का जन्म 28 जनवरी 1937 को ढ़ाका में हुआ , जो कि अब बांग्लादेश में है..परिवार वाले ये जान गए थे कि समुन को संगीत से प्यार है…लिहाजा 1943 में समुन जी का परिवार ढ़ाका से मुंबई आ गया…और मुंबई में सुमन जी ने संगीत का प्रशिक्षण लेना शुरू किया..सुमन ने उस्ताद खान, अब्दुल रहमान खान और गुरुजी मास्टर नवरंग जैसे दिग्गजों से भी संगीत की बारिकियां सीखीं.हालांकि तब परिवार वालों के ये कतई अंदाजा नहीं था कि वो आगे चलकर ऐसी गायिका बनेंगी…जो सुर साम्राज्ञी लता जी को चुनौती दे सके..सुमन कल्याणपुर पहले तो शौकिया रूप में ही संगीत सीख रहीं थीं, लेकिन समय के साथ-साथ उनकी रुचि बढ़ने लगी। सुमन ने अपने गुरु यशवंत देव से बाकायदा संगीत सीखा। उन्होंने ही मराठी फिल्म ‘शुक्राची चांदनी’ में पहली बार गाने का मौका दिया।

सुमन जब ढ़ाका में रहा करती थी तो उस दौर के आर सी बोरल, के सी डे और के एल सहगल जैसे सिंगरों की आवाज से परिचित थी…कानन देवी की आवाज का भी इन पर गहरा प्रभाव था..इतना ही नहीं सुमन कल्याणपुर को ….एस डी बर्मन के संगीत से भी काफी लगाव था…कहते हैं एक बार इनकी आवाज को तलत महमूद ने सुना तो कहा कि में आपके साथ एक दिन डुएट जरूर गाऊंगा

फिर वो वक्त आया जब समुन कल्याणपुर को फिल्म में गाने का मौका मिला ..फिल्म थी मियां बीवी राजी..इस फिल्म का गाना भी काफी लोकप्रिय हुआ…उसके बाद एक और गाना आया …ना तुम हमें जानो…ना हम तुम्हें जाने….काफी लोकप्रिय हुआ …इस गाने का संगीत दिया था एस डी बर्मन ….कहते हैं कि दूरदर्शन का लोकप्रिय शो छायागीत प्रसारित हो रहा था. गाना आता है ना ना करते प्यार तुम्हीं से कर बैठे. शो की प्रथा के अनुसार होस्ट गायकों का नाम बताते हैं. मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर. प्रसारण खत्म होता है. कुछ समय बाद प्रसार भारती के दफ्तर का फ़ोन बजता है. फ़ोन करने वाली हैं 20 वर्षीय चारुल कल्याणपुर. चारुल उन्हें बताती हैं कि ये गीत लता जी ने नहीं, बल्कि उनकी मां सुमन कल्याणपुर ने गाया है. लेकिन कोई उनकी बात का यकीन नहीं करता. कोई करता भी कैसे, जब खुद कई बार लता मंगेशकर जी के सहायक और उनके करीबी मिलने वाले भी उनकी और सुमन जी की आवाज़ के बीच धोखा खा जाते थे

केवल उद्बघोषक को ही नहीं बल्कि बहुत सारे लोगों को लगा कि ये गाना लता जी ने गाया…लेकिन वास्तविकता कुछ और थी…लता दीदी और सुमन कल्याणपुरी की आवाज बहुत मिला करती थी..हालांकि ये बात और है कि इसका खामियाजा भी सुमन कल्याणपुर को उठाना पड़ा

उस जमाने में जब सुमन कल्याणपुर के गाने हर घर में गूंजते थे, तो लोग उनकी आवाज से मदहोश होने लगते, तो कई दफा लोगों को लगता कि उन पर एक बार फिर लता मंगेशकर का जादू छा रहा है. रेडियो पर बजने वाले गानों के साथ अक्सर सिंगर का नाम नहीं बताया जाता था, जिस वजह से सुमन कल्याणपुर के कई गानों का श्रेय भी लता मंगेशकर को मिल जाता था.

बावजूद इसके सुमन कल्याणपुर लता मंगेशकर को अपना आदर्श मानती हैं. सुमन कल्याणपुर ने एक पुराने इंटरव्यू में कहा था कि वह बचपन से लता मंगेशकर के गाने गाती थीं और वह उनकी प्रेरणा रही हैं.

लता दीदी के साथ सुमन कल्याणपुर ने एक डुएट भी गाया था..कहते हैं डुएट के दौरान सुमन कल्याणपुर काफी नर्वस थी…तो संगीतकार हेमंत कुमार ने कहा कि कभी भी जरूरत से ज्यादा ऊंचा मत गाना, लता मंगेशकर को फॉलो मत करना ,अपने मन में जो है बस उसी का ध्यान रखना

एक इंटरव्यू के दौरान सुमन कल्याणपुर ने बताया था, ‘लता दीदी की आवाज बहुत ही कोमल और मधुर थी। उनकी आवाज मतलब एक ऐसा स्वर जो हम सभी के लिए आदर्श था।उनके गाने आज भी हमारे बीच में मौजूद हैं और हमेशा मौजूद रहेंगे। मैं उनसे चार या पांच बार ही मिली थी, लेकिन जब भी मिली, मुझे अपनापन महसूस होता था और शायद यही अपनापन वह भी महसूस करती थीं। हम एक-दूसरे का हाथ पकड़ बातें किया करते थे। ऐसा लगता जैसे अर्से बाद दो सहेलियां मिल रही हों

हालांकि एक इंटरव्य़ू के दौरान सुमन कल्याणपुर ने ए मेरे वतन के लोगो गीत को लेकर बड़ा खुलासा किया था। उन्होंने बताया था कि ‘पंडित जवारहलाल नेहरू के सामने यह गीत गाने के लिए मुझे बुलाया गया था, रिहर्सल भी हुई थी, लेकिन मंच के पास पहुंचते ही मुझे इस गाने की बजाय दूसरा गाना गाने के लिए कहा गया।’ कल्याणपुर ने यह भी कहा कि इस बात का अब तक पता नही लगा कि आखिर यह गाना उनसे क्यों छीना गया? गायिका ने कहा था, ‘पंडित नेहरू के सामने ‘ए मेरे वतन के लोगो’ गीत गाने का मौका मिला तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। लेकिन जब कार्यक्रम के दौरान गाना गाने के लिए मंच के पास पहुंची तो मुझे रोका गया और कहा गया कि वे इस गाने की बजाय दूसरा गाना गाएं। यह गाना मुझसे छीन लिया गया था, यह मेरे लिए बड़ा सदमा था। वह बात आज भी चुभती है।

खैर संगीतकार रोशन के साथ सुमन कल्याणपुर ने खूब गाना गाया

एक दौर वो भी आया जब मशहूर गायक मो रफी और लता के बीच अनबन हो गई..तब सुमन कल्याणपुर की आवाज़ ने ही रफी का साथ दिया था


सुमन कल्याणपुर जी ने हिंदी, मराठी फिल्मों में हज़ार के आस-पास गाने गाए. हिंदी, मराठी के अलावा गुजराती, मैथिली, तमिल, भोजपुरी, पंजाबी जैसी कई भाषाओं में भी गाने गाए…2010 में महाराष्ट्र सरकार ने सुमन कल्याणपुर जी को लता मंगेशकर अवार्ड से नवाज़ा गया साथ ही पिछले साल 2023 में भारत सरकार ने इन्हें पद्म श्री अवॉर्ड से नवाजा गया है।

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