अपने जमाने की थी वो महान सिंगर, जिनके गाए गाने आज भी लोग गुनगुनाते हैं…इन गीतों को सुनकर आप समझ गए होंगे कि हम किस गायिका की बात कर रहे हैं…जी हां वो गायिका थी गीता दत्त..23 नवंबर 1930 को अब के बांग्लादेश में एक जमींदार परिवार में जन्मीं गीता जिनका पहले नाम था गीता घोष रॉय चौधरी…गीता को बचपन से ही संगीत की ओर झुकाव था। लिहाजा उनकी प्रतिभा को पहचानते हुए, उनके परिवार ने उनके लिए संगीत सीखने की व्यवस्था की।, 1942 में गीता का परिवार मुंबई में शिफ्ट हो गया। गीता ने संगीत को नहीं छोड़ा और अपने दम पर अभ्यास करना जारी रखा।
कहते हैं कि एक रोज संगीतकार और निर्देशक के. हनुमान प्रसाद दादर में गीता के घर से गुजर रहे थे, जब उन्होंने अपने घर में अभ्यास करती गीता को सुना। प्रसाद, उनकी आवाज से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने गीता को 1946 में रिलीज हुई फिल्म भक्त प्रह्लाद में गाने का मौका दिया। उसके बाद, गीता ने प्रसाद की दो और फिल्मों रसीली और नई मां के लिए गाना गाया।
साल 1947 से 1949 में गीता रॉय को मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में नंबर एक पार्श्व गायिका के रूप में गिनती होने लगी। इसकी वजह थी उनकी मधुर आवाज और उनमें गाए हुए हिट गाने। इसके साथ गीता अन्य भाषाओं में भी गाने गाती रहीं और जल्द ही एक स्टार सिंगर बन चुकी थीं..प्रोफेशनल लाइफ में तो गीता दत्त काफी सफल रहीं और उन्होंने एक से बढ़कर एक गाने गाए थे। निजी जिंदगी की बात करें तो गीता दत्त की पर्सनल लाइफ काफी धुंधली सी रही है। उनकी शादी जरूर मशहूर फिल्म निर्माता गुरुदत्त के साथ हुई थी, लेकिन इनकी कहानी किसी दुखद प्रेम कहानी से कम नहीं थी।
गुरुदत्त से गीता दत्त की पहली मुलाकात फिल्म बाजी के सेट पर हुई थी। गीता के हंसमुख स्वभाव पर गुरुदत्त दीवाने हो गए थे और गीता भी गुरुदत्त के निर्देशन की कायल हो गई थीं। दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा था। गीता और गुरुदत्त ने शादी का फैसला कर लिया था, लेकिन गीता के परिवार को यह रिश्ता मंजूर नहीं था। बावजूद इसके दोनों ने परिवार के विरोध को दरकिनाकर करते हुए 26 मई 1953 को साधारण तरीके से शादी कर ली। शादी के बाद गीता दत्त के तीन बच्चे तरुण दत्त, अरुण दत्त और नीना दत्त हुए।गीता घोष अब गीता दत्त बन चुकी थीं और बेहद खुश थीं। शादी के शुरुआती साल बहुत अच्छे गुजरे। गीता ने अपने आप को घर-परिवार में व्यस्त कर लिया और गुरु दत्त पूरी तरह से अपनी ही दुनिया में खो गए। धीरे-धीरे, उन्होंने दूसरों के लिए गाना छोड़ दिया और गुरु दत्त की फिल्मों पर ध्यान केंद्रित किया। साथ में उन्होंने ‘बाजी’, ‘आर-पार’, ‘मिस्टर एंड मिसेज 55’, ‘सीआईडी’, ‘प्यासा’ और ‘कागज के फूल’, ‘साहिब बीबी और गुलाम’ और ‘बहारें फिर भी आएंगी’ में बेहतरीन गाने दिए।शादी के बाद गुरुदत्त अपने काम में काफी व्यस्त हो गए। वह गीता और परिवार को समय नहीं दे पा रहे थे। इसका असर उनके निजी जीवन पर पड़ा। वहीं गीता परिवार और बच्चों का ध्यान रखती थीं, जिसका असर उनकी प्रोफेशनल जिंदगी पर पड़ने लगा। तभी गुरुदत्त की जिंदगी में एंट्री हुई वहीदा रहमान की। गुरुदत्त ने ही वहीदा रहमान को सीआईडी फिल्म में ऑफर दिया था। इसके बाद वह गुरुदत्त की ही फिल्म प्यासा में नजर आईं। ये फिल्म हिट हुई। दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ने लगी थीं। गुरुदत्त और वहीदा रहमान के अफेयर की खबरों से परेशान होकर गीता दत्त बच्चों के साथ अपने माता-पिता के घर चली गई थीं।
गुरुदत्त की बहन ललिता लाजमी के एक इंटरव्यू के मुताबिक दोनों में ईगो का टकराव था। वहीं, शायद गीता किसी बात से आहत भी थीं। उनकी शादी 11 साल चली, लेकिन वह एक दुखद शादी थी। ये दोनों कलाकार के रूप में शानदार थे, लेकिन एक जोड़े के रूप में लगातार दरार बढ़ती रही। गीता, गुरु दत्त को लेकर पजेसिव थीं और उन्हें हर उस एक्ट्रेस पर शक था, जिसके साथ उन्होंने काम किया था। झगड़े के बाद गीता बच्चों को लेकर अपने घर चले जाया करती थीं और गुरु उनसे यही कहते कि लौट आओ। दोनों एक-दूसरे से बेहद प्यार करते थे, मगर एक-दूसरे के साथ रहना दुश्वार हो गया था।गुरुदत्त और गीता के बीच खूब झगड़े होने लगे थे। हालांकि गुरुदत्त ने रिश्ते सुधारने की एक और कोशिश की। उन्होंने गीता के लिए एक फिल्म शुरु की, लेकिन झगड़े इतने बढ़ गए कि दो दिन बाद ही फिल्म की शूटिंग रोकनी पड़ी। दोनों फिल्म के सेट पर ही लड़ा करते थे।
बाद में साल 1964 में गुरुदत्त मृत पाए गए थे। कहा जाता हैं कि उन्होंने नींद की गोलियां खाकर आत्महत्या कर ली थी। कहते हैं कि गुरुदत्त की मौत के बाद गीता ने बहुत शराब पीनी शुरू कर दी। 1972 में लिवर की बीमारी के चलते गीता दत्त की भी मौत हो गई। मौत के वक्त वह महज 42 साल की थीं। गीता ने अपनी पूरी जिंदगी घर और गुरु दत्त पर न्यौछावर की थी