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हिंदी सिनेमा का सबसे खतरनाक विलेन..प्राण..जो थे बॉलीवुड के प्राण

हिंदी सिनेमा का सबसे खतरनाक विलेन..इतनी खतरनाक इमेज कि मां -बाप ने बच्चों का नाम प्राण रखना बंद कर दिया था…जो अपने दौर के कई हीरो से ज़्यादा फीस लेता था…जिसने अपने अभिनय से खलनायकी को दिया नया आयाम…प्राण कृष्ण सिकंद का जन्म 12 फरवरी 1920 को दिल्ली के बल्लीमारान इलाके में हुआ था। ज़्यादातर लोग उन्हें सिर्फ प्राण के नाम से जानते हैं। प्राण ने एक पंजाबी परिवार में जन्म लिया था। उनके पिता का नाम केवल कृष्ण सिकंद था जो पेशे से एक सिविल इंजीनियर थे।

 

प्राण ने अपने अभिनय की शुरुआत एक पंजाबी फिल्म से की थी। प्राण को दलसुख एम पंचोली की फिल्म यमला जट में साल 1940 में अभिनय करने का मौका मिला। इस फिल्म में प्राण ने नूरजहां के साथ काम किया । इसके बाद साल 1941 में प्राण ने फिल्म चौधरी और खजांची में भी छोटे छोटे किरदार निभाए…प्राण को पहली फिल्म मिलने की कहानी बहुत फिल्मी है… प्राण लाहौर में अक्सर एक पान की दुकान पर जाया करते थे… उसी पान की दुकान पर मशहूर फिल्म राइटर वली मोहम्मद भी पान खाने जाते थे… जब वली मोहम्मद फिल्म यमला जट बना रहे थे तो उसमें उन्हें खलनायक के रोल के लिये किसी नये चेहरे की तलाश थी… वली मोहम्मद की नजर जब प्राण पर पड़ी तो उन्होंने प्राण को मिलने के लिए बुलाया था..अभिनेता प्राण ने वली मोहम्मद की बात को कोई तवज्जो नहीं दी. जब दोबारा दोनों की मुलाकात हुई तो वली ने प्राण को फिल्म में काम करने के लिये तैयार कर लिया. इसके बाद प्राण ने फिल्म यमला जट में काम किया… इस फिल्म में अभिनय करने के बाद फिर कभी प्राण ने पीछे मुड़कर नहीं देखा…

साल 1942 में प्राण को फिल्म खानदान में अभिनय करते हुए देखा गया था। यह फिल्म प्राण की पहली हिंदी फिल्म थी। इस फिल्म में उन्होंने एक रोमांटिक हीरो का किरदार अभिनय किया था। इस फिल्म को लोगो ने पसंद किया था।फिल्म में मुख्य अभिनेत्री नूरजहां  थी। इसके बाद भी साल 1945 में कैसा खून और साल 1946 में खामोश निगाहें जैसी फिल्मो में प्राण ने अभिनय किया ।साल 1942 से साल 1946 तक प्राण ने लाहौर में ही कुल 22 फिल्मो में अभिनय किया था जिसमे से तकरीबन 18 फिल्मे रिलीज़ भी हो चुकी थीं। प्राण उस वक्त तक विलेन के रूप में अच्छे-खासे चर्चित हो चुके थे। साल 1947 में हुए भारत विभाजन की वजह से प्राण कुछ वक्त के लिए फिल्मों से दूर हो गए। बंटवारे के दौरान प्राण किसी तरह लाहौर से इंदौर पहुंचे। इसके बाद वे लाहौर लौट नहीं पाए… कुछ महीने इंदौर में रहने के बाद फिर उन्होंने मुंबई का रुख किया। काम मिलने में देरी औऱ रुपए-पैसे की तंगी… प्राण ने कई महीने तक एक होटल में भी काम किया लेकिन हिम्मत नहीं हारी…साल 1970 की बात करे तो उस साल प्राण ने सबसे पहले फिल्म पूरब और पश्चिम में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक मनोज कुमार थे। प्राण ने कई सारी फिल्मों में सहायक किरदार निभाए थे और वो सब नेगेटिव रोल्स थे…जिसकी वजह से उन्हें हर कोई विलेन के रूप में ही जानता था।

प्राण ने साल 1972 में फिल्म जंगल में मंगल, साल 1973 में फिल्म धर्म और एक कुंवारी एक कुंवारा, और साल 1978 में फिल्म राहु केतु में मुख्य किरदारों को निभाया था। इन सभी फिल्मो को दर्शको ने पसंद भी किया था। प्राण की फिल्मों की बात करे तो उन्हें खानदान, पिलपिली साहेब, मधुमती, जिस देश में गंगा बहती है, उपकार, शहीद, राम और श्याम, आंसू बन गए फूल, जॉनी मेरा नाम, विक्टोरिया नंबर 203, बे-ईमान, ज़ंजीर, डॉन, अमर अखबार एंथोनी, दुनिया जैसी बड़ी बड़ी फिल्मो में अभिनय किया
साल 1973 में आई फिल्म ‘ज़ंजीर’ …प्राण और अमिताभ की जोड़ी दर्शकों को बहुत पसंद आई थी, जिसके बाद उन दोनों ने और भी कुछ फिल्मो में एक साथ अभिनय किया था। उन फिल्मो के नाम ‘डॉन’, ‘अमर अकबर एंथोनी’, ‘दोस्ताना’, ‘नसीब’ और ‘शराबी’ था।

जानकारों की मानें तो अमिताभ को एंग्री यंगमैन बनाने में सबसे बड़ा हाथ प्राण का था… फिल्म जंजीर से अमिताभ बच्चन के करियर को जो दिशा मिली… उसने उस दौर के सिनेमा की सोच को ही बदल कर रख दिया। अमिताभ बच्चन से पहले ये फिल्म धर्मेन्द्र और देव आनंद को ऑफर हुई थी… लेकिन फिल्म फ्लोर तक नहीं पहुंची…  फिर प्राण ने प्रकाश मेहरा को फिल्म में अमिताभ बच्चन को लेने की सलाह दी… प्रकाश मेहरा खुद कहते हैं…
प्राण ने मुझसे कहा था कि अमिताभ को बॉम्बे टू गोवा में देखने के बाद मुझे लगता है कि वह फ्यूचर स्टार है ..साल 1971 से लेकर साल 1992 तक प्राण ने विलेन के रूप में कई सारी हिट फिल्मो में अभिनय किया था। उन फिल्मो के नाम  हैं मर्यादा, नया ज़माना, जवान मोहब्बत, आन बान, रूप तेरा मस्ताना, यह गुलिस्तां हमारा, गद्दार, अँधा कानून, दुनिया, इन्साफ कौन करेगा, दुर्गा, बेवफाई, होशियार, धर्म अधिकारी, आज़ाद देश के गुलाम

प्राण उस दौर के सफलतम विलेन थे… बकायदा कई फिल्मों के हीरो से ज़्यादा फीस लेते थे… सिर्फ कुछ ही हीरो थे जो फीस और अदाकारी में प्राण के सामने खड़े हो पाते थे… लेकिन प्राण फिल्मी दुनिया के दिखावे से परे सही मायने में यारों के यार थे… एक फिल्म ऐसी भी थी… जिसके लिए उन्होंने सिर्फ एक रुपए की फीस ली थी… वो फिल्म थी… बॉबी… राज कपूर उन दिनों आर्थिक तंगी के दौर से गुज़र रहे थे… लिहाजा प्राण ने इस फिल्म में काम करने के पैसे नहीं लिए… पर्दे पर वे जितने खूंखार नज़र आते थे… असल ज़िंदगी में वे उतने ही नरमदिल थे…साल 1990 में अमिताभ बच्चन के अनुरोध पर प्राण ने दो फिल्मो में अभिनय करने के लिए हामी भरी थी। उन फिल्मो का नाम तेरे मेरे सपने और मृत्युदाता था। साल 2000 के बाद प्राण  अतिथि भूमिका में ही नज़र आए  । 2002 में फिल्म… मोहब्बत पहली नज़र में, सूर्यकांत, एक हिंदुस्तानी और तुम जियो हज़ारो साल में दिखाई दिए । साल 2007 में प्राण को आखिरी बार फिल्म दोष में देखा गया था।

प्राण अपनी एक्टिंग से किसी भी किरदार में जान डाल देते थे… अपने किरदार को वे इस शिद्दत के साथ निभाते थे कि लोग असल में उन्हें बुरा आदमी ही मानने लगे थे… एक कलाकार के लिए इससे बड़ी बात… और क्या हो सकती है….खुद प्राण की मानें तो
फिल्म उपकार से पहले सड़क पर मुझे लोग देख लेते तो ओ बदमाश, ओ लफंगे, अरे गुंडे कहकर फब्तियां कसते थे। जब मैं परदे पर दिखता था तो बच्चे मां के पल्लू में मुंह छुपा लेते थे.। फिर मनोज कुमार ने फिल्म उपकार में मेरी इमेज बुरे आदमी से एक अच्छा आदमी की बना दी ..पर्दे पर वे महाखलनायक बने तो कई कैरेक्टर रोल्स में भी उनके काम को खूब सराहा गया। उन्होंने पर्दे पर लोगों को डराया भी… हंसाया भी तो अपने एक्टिंग से उन्हें रुलाया भी… एक विलेन के तौर पर लोग उनसे जितनी नफरत करते थे… उनकी निभाई दूसरी भूमिकाओं में उनसे उतनी ही मोहब्बत…12 जुलाई 2003 को, 93 साल की उम्र में प्राण का निधन हो गया… प्राण ने 350 से भी ज़्यादा फिल्मों में अभिनय किया… प्राण साहब ने जो भी रोल निभाए … अपने अभिनय से उनमें नई जान डाल दी . . .उनकी डायलॉग डिलीवरी का अंदाज़… उनका दमदार अभिनय… पर्दे पर वे किसी भी हीरो से कमतर कभी नहीं लगे।

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