रवि के नाम से मशहूर संगीतकार रवि ने कई लोकप्रिय हिंदी फिल्मों में संगीत दिया।
उनके गीत ‘आज मेरे यार की शादी है’, ‘बाबुल की दुआएं लेती जा’ और ‘डोली चढ़ के दुलहन ससुराल चली’ आज भी शादी समारोहों में शान से बजाए जाते हैं।
रवि का पूरा नाम रवि शंकर शर्मा था। दिल्ली में तीन मार्च 1926 को जन्मे रवि प्लेबैक सिंगर बनना चाहते थे। बतौर इलेक्ट्रीशियन काम करते हुए उन्होंने हारमोनियम बजाना और गाना सीखा
गायक बनने के लिए 1950 में वे मुंबई आ गए। दो साल भूखे पेट संघर्ष में बीते। कंपोजर-सिंगर हेमंत कुमार ने 1952 में फिल्म ‘आनंद मठ’ के ‘वंदे मातरम्..’ गीत में पहली बार गाने का मौका दिया।
रवि आगे चलकर वे प्लेबैक सिंगर तो नहीं बन पाए लेकिन 1955 में फिल्म ‘वचन’ से बतौर संगीत निर्देशक का सफर जरूर शुरू हो गया।
रवि का आगमन भी बेहद रोचक तरीके से उनके हिन्दी ज्ञान के चलते फ़िल्मों की दुनिया में हुआ था. अपने शुरुआती दौर में हेमन्त कुमार जैसे संगीतकार के सहायक के रूप में वो फ़िल्म संगीत की दुनिया से जुड़े.
हेमन्त कुमार उनकी अच्छी हिन्दी के कारण उन्हें ‘पण्डित जी’ कहते थे और उनकी हिन्दी पर मज़बूत पकड़ के चलते अपने गीतों के लिए ज़रूरी सलाह भी लिया करते थे
संगीत निर्देशन की दुनिया में उन्होंने सफलता की बुलंदी को छुआ।
उन्होंने अपने करियर में 50 से ज्यादा फिल्में कीं। इनमें से ज्यादातर म्यूजिकल हिट रहीं।
उनकी फिल्मों में ‘घर संसार’, ‘मेहंदी’, ‘चिराग़ कहां रोशनी कहां’, ‘नई राहें’, ‘चौदहवीं का चांद’, ‘घूंघट’, ‘घराना’, ‘चाइना टाउन’, ‘आज और कल’, ‘गुमराह’, ‘गृहस्थी’, ‘काजल’, ‘ख़ानदान’, ‘व़वक्त’, ‘दो बदन’, ‘फूल और पत्थर’, ‘सगाई’, ‘हमराज’, ‘आंखें’, ‘नील कमल’, ‘बड़ी दीदी’, ‘एक फूल दो माली’, ‘एक महल हो सपनों का’ के नाम उल्लेखनीय है।
उनकी अंतिम उल्लेखनीय फिल्म ‘निकाह’ (1982) थी। इसके सभी गाने सुपर हिट थे।
रवि ने हिंदी फिल्मों के अलावा करीब 14 मलयालम फिल्मों में भी संगीत दिया।
हिन्दी फ़िल्म संगीत में सफलता के तमाम झंडे गाड़ने के बाद, दक्षिण की फ़िल्मों में भी ‘बॉम्बे रवि’ के नाम से उतनी ही लोकप्रियता अर्जित कर पाना, उनकी अचूक रचनात्मकता पर मुहर ही लगाता है
रवि को घराना’ व ‘ख़ानदान’ फिल्म के लिए दो फिल्म फेयर पुरस्कार मिले
इन सब के के अलाव रवि को ढेर सारे राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी जीते
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा दिया जाने वाला ‘लता मंगेशकर पुरस्कार’ और मालवा रंगमंच समिति द्वारा दिया जाने वाला ‘कवि प्रदीप शिखर सम्मान’ था।
रवि को उन लोगों में गिना जाता है जिन्होंने महेंद्र कपूर जैसे गायक और आशा भोसले जैसी गायिका को इंडस्ट्री में स्थापित किया। आशा भोसले द्वारा गाए गीत ‘तोरा मन दर्पण कहलाए’ का संगीत रवि ने ही तैयार किया था।
‘वक्त’, ‘हमराज’, ‘नीलकमल’ जैसी सफल फिल्मों में रवि ने ही संगीत दिया था। उन्होंने इनके अधिकांश गीत महेंद्र कपूर से गवाए जो खासे लोकप्रिय हुए।
कुल मिलाकर कहें तो रविशंकर शर्मा उर्फ़ ‘रवि’ हिन्दी फ़िल्म संगीत के ऐसे परिश्रमी संगीतकार के रूप में याद किये जाते हैं, जिनकी सहज धुनों ने सफलता के बड़े कीर्तिमान स्थापित किए.