28 फरवरी 1944 को अलीगढ के कनवरी गंज के मशहूर वैद्य इंद्रमणि जैन और किरन जैन के यहां रविंद्र जैन का जन्म हुआ था
वह भले ही दिन के उजाले को नहीं देख सकते थे लेकिन बचपन से ही वह संगीत की अलौकिक लौ को पहचान गए थे। बचपन से ही रविंद्र जैन भजन गाया करते थे।
कह सकते हैं कि प्रसिद्ध संगीत व गीतकार रवींद्र जैन ने बिना देखे ही जो लिखा, उसका पूरा देश दीवाना हो गया
परिजनों ने उनको संगीत की विधिवत शिक्षा दिलवाने का इंतजाम किया। संगीत की प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने पंडित जीएल जैन और पंडित जनार्धन शर्मा से हासिल की। फिल्मों में रविंद्र जैन का सफर 1960 में कोलकाता से शुरू हुआ।
10 साल बाद प्रतिभूषण भट्टाचार्य उन्हें मुंबई ले आए और अपनी फिल्म क्रांति और बलिदान में बतौर संगीतकार मौका दिया।
फिल्म चितचोर के लिए उन्हें बेस्ट म्यूजिक डायरेक्ट का फिल्म फेयर अवार्ड भी दिया गया।
1974 में आई चोर मचाए शोर , 1975 में आई गीत गाता चल , 1976 में आई चितचोर , 1978 में आई अखियों के झरोखों से और 1986 में आई राम तेरी गंगा मैली के गीत संगीत ने रविंद्र जैन को खूब प्रसिद्धि दिलाई
इन सबके अलावा दो जासूस, हिना आदि उनकी प्रसिद्ध फिल्में हैं इन फिल्मों के संगीत ने भी धूम मचाई।
राजकपूर और राज श्री प्रोडक्शन के साथ रविंद्र जैन की जोड़ी खूब चली…राजकपूर को लेकर एक वाक्ये का जिक्र भी रविंद्र जैन ने एक साक्षात्कार में किया था
राजश्री प्रोडक्शन से बनाए गए फिल्मों में रवींद्र जैन के गीत संगीत ने जान डाल दी….लता और आशा के बाद हेमलता ने रविंद्र जैन के लिए खूब गाया
राम तेरी गंगा मैली के सभी गानों ने भी खूब प्रसिद्धि बटोरी
हिंदी फिल्मों के अलावा उन्हें सैकड़ों पंजाबी, मराठी, भोजपुरी और क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों में संगीत दिया
नैट-
रामानंद सागर के मशहूर टीवी धारावाहिक रामायण में संगीत दिया। खुद रवींद्र जैन ने कहा था कि रामायण धारावाहिक ने उन्हें घर घर में लोकप्रिय बना दिया था
वे उन चंद बिरले संगीतकारों में रहे हैं, जिन्होंने कविता, शायरी और गीत की समझ को आत्मसात करते हुए लीक से हटकर कुछ गम्भीर तरह का काम किया..आज भले ही रविंद्र जैन नहीं हैं पर वो हमारे और आपके दिलों में हमेशा रहेंगे
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