क्या आप श्याम लाल बाबू राय को जानते हैं..नहीं ना
तो आइए आपको बताते हैं . कौन हैं श्याम लाल बाबू राय..
श्याम लाल बाबू राय… आप और हम उन्हें इंदीवर के नाम से जानते हैं
जी हां इंदीवर.. बॉलीवुड के बेहतरीन गीतकारों में से एक
उत्तर प्रदेश के झाँसी ज़िले के बरुआ सागर में 1 जनवरी 1924 को श्यामलाल बाबू राय का जन्म हुआ।
आज़ादी के संघर्ष के दौरान श्यामलाल बाबू “आज़ाद ” के नाम से देशभक्ति गीत लिखे।
वो जब फ़िल्मों में गीत लिखने लगे तो इंदीवर कहलाए और इसी नाम से दुनिया ने उन्हें पहचाना।
इंदीवर का मतलब होता है नील कमल जो कि एक रेयर फूल है और सुन्दर आँखों के लिए जिसकी उपमा दी जाती है। मगर उनका जीवन उतना सुन्दर गुज़रा नहीं था
बचपन में ही उनके माता पिता का देहांत हो गया था, तब उनकी बड़ी बहन और जीजाजी उन्हें अपने साथ ले गए, लेकिन वहाँ उनका मन नहीं लगा और वो वापस लौट आए।
बाद में शादी हुई ….लेकिन श्यामलाल बाबू घर-पत्नी परिवार से भागकर मुंबई आ गए। उस समय उनकी उम्र कोई बीस साल रही होगी, स्टूडियो स्टूडियो चक्कर काटते रहे पर हार नहीं मानी और क़रीब दो साल के कड़े संघर्ष के बाद उन्हें मिली फ़िल्म “डबल फेस’ जिस में उन्होंने पहली बार गीत लिखे मगर फ़िल्म चली नहीं न ही गीतों को मक़बूलियत हासिल हुई। ये उनके लिए एक झटका तो था मगर फिर भी वो मुंबई में टिके रहे और जो भी काम मिला करते रहे
B, C ग्रेड जैसी भी फिल्मों के लिए लिखा..फिर उन्हें घर की अहमियत का एहसास भी हुआ। और फिर वो अपने गाँव अपने घर लौट आए, कहते हैं कि उनकी वापसी पर उनकी पत्नी ने बेहद ख़ुशी ज़ाहिर की और फिर धीरे-धीरे दोनों के बीच की कसक काम हुई और दूरियाँ भी घटने लगीं
इंदीवर घर तो लौट आए थे मगर गीतकार बनने का सपना अधूरा था और उसका दर्द गाहे-बगाहे छलक ही जाता था। इस बार उनकी पत्नी ने ख़ुद उन्हें बम्बई जाकर भाग्य आज़माने को कहा और वो एक बार फिर से मुंबई रवाना हुए
फ़िल्मों में बतौर गीतकार अपना करियर बनाने के लिए और इस बार क़िस्मत को उन पर रहम आ गया। उन्हें फ़िल्म “मल्हार” के रूप में एक बड़ा ब्रेक मिला। 1951 मे आई “मल्हार” का ये गीत “बड़े अरमानों से रखा है बलम तेरी क़सम प्यार की दुनिया में ये पहला क़दम” ने इंदीवर को काफ़ी प्रशंसा दिलाई
इंदीवर के हिस्से में सफलता आई क़रीब एक दशक लंबे इंतज़ार के बाद। जब 1963 में बाबूभाई मिस्त्री की म्यूजिकल हिट पारसमणि रिलीज़ हुई। संगीतकार लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की ये पहली फिल्म थी, जिस के सभी गाने रातों रात मशहूर हो गए। इसके बाद इंदीवर को कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा
कुछ संगीतकारों और फ़िल्मकारों के साथ इंदीवर की अटूट जोड़ी बनी जिसने बहुत से हिट गीत दिए
अगर S D बर्मन को छोड़ दें तो उन्होंने रोशन, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल से लेकर विजु शाह, आदेश श्रीवास्तव, आनंद राज आनंद, और 90 के दशक में जतिन ललित तक ज़्यादातर सभी संगीतकारों के लिए गीत लिखे
कल्याणजी-आनंद जी के लिए इंदीवर ने सरस्वतीचंद्र, जॉनी मेरा नाम, सच्चा-झूठा, क़ुर्बानी, धर्मात्मा जैसी कई सुपर हिट फिल्मों के यादगार गीत लिखे।
फ़िल्म “सरस्वतीचंद्र” का एक गाना है “छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए” कहते हैं इस गाने को सुनकर बहुत से लोगों ने आत्महत्या का विचार त्याग दिया था।
फ़िल्म उपकार से और फिर पूरब और पश्चिम, यादगार, पहचान जैसी कई फिल्मों में इंदीवर ने देश प्रेम से भरपूर और भावनात्मक गीत लिखे।
भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ”, “जिस पथ पे चला उस पथ पे मुझे आँचल तो बिछाने दे”, “आया न हमको प्यार जताना” जैसे कई अर्थपूर्ण, यादगार गीत उन्होंने लिखे।
इंदीवर के लोकप्रिय गीतों की बहार 80–90 के दशक तक जारी रही। उस दौरान बहुत से गीत लोकप्रिय हुए, हिट हुए। नाज़िया हसन के गाए “आप जैसा कोई” और बूम बूम जैसे गाने भी उन्होंने ही लिखे हैं
तोहफ़ा, ख़ुदग़र्ज़, खून भरी मांग, दरियादिल, घायल, करण-अर्जुन, क्रिमिनल, कोयला, ग़ुलाम, सरफ़रोश जैसी बहुत सी फिल्मों के लोकप्रिय गीत उनकी क़लम से निकले और लोगों की ज़बान पर चढ़े
40 साल के फ़िल्मी सफ़र में इंदीवर ने क़रीब 300 फ़िल्मों में एक हज़ार से ज़्यादा गाने लिखे। उन्हें फिल्म अमानुष के गीत “दिल ऐसा किसी ने मेरा तोडा” के लिए फ़िल्मफ़ेयर का बेस्ट लिरिसिस्ट अवार्ड दिया गया।
27 फरवरी 1997 को उन्होंने आखिरी सांस ली, लेकिन उनके लिखे अनमोल गीत हमेशा उन्हें अमर रखेंगे।