फिल्म में आने वाली हर सिचुएशन पर गीत लिखकरर समीर ने अपने कलम की क्रिएटिविटी दिखाई। वाराणसी के बीएचयू से एमकॉम की पढ़ाई करने वाला नौजवान कैसे फिल्मों का गीतकार बन गया …समीर तो वो बाद में बने पहले लोग उन्हें शीतला पांडेय के नाम से जानते थे
वाराणसी के पास के गांव ओदार का ये छोड़ा पढ़ लिखकर बैंक में नौकरी करना चाहता था लेकिन अचानक एक दिन उसका मूड बदला और पहुंच गया मुंबई…
तमाम गानों को अपने लफ्जों में पिरोकर हिंदी सिनेमा में धूम मचाने लाले गीतकार समीर अंजान
एक ऐसे गीतकार जिनकी कलम से निकले अल्फाज फिल्मी गीतों की शक्ल में पिछले कई दशक से लोगों के दिलों में धड़क रहे हैं
नर्म, नाजुक लफ्जों से सजे हिंदी सिनेमा में न जाने कितने ही ऐसे नगमें हैं जिनमें समीर के शब्दों की सौंधी महक आती है
अपने फिल्मी करियर में समीर अंजान ने तकरीबन 700 फिल्मों के लिए 6000 के करीब गाने लिखकर लिम्का वर्ल्ड ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है
वक्त बदला, दौर बदला , संगीत बदला, गीतों का मूड बदला लेकिन इस गीतकार के कलम का कमाल दिनों दिन परवान चढ़ता गया
समीर की कलम से अगर प्यार की फुहार वाले गीत निकले तो आंसुओं से तरबतर नगमे भी निकले
समीर के दर्द भरे गीतों से लेकर मस्ती भरे अलबेले बोल वाले गीत भी काफी पसंद किए जाते रहे हैं
यूपी में जन्में और पले बढ़े समीर ने अपनी गीतों में उत्तर प्रदेश के लोकगीतों का भी भरपूर इस्तेमाल किया
अपने अल्फाजों को फिल्मी गीतों में ढ़ालने का अंदाज विरासत में मिली…उके पिता अंजान अपने दौर के जाने माने गीतकार रहे हैं…बावजूद इसके समीर ने अपनी सफलता का सफर अपने बलबूते पाया
आखिरकार एक दिन उनका मुखड़ा पास हुआ। और अंजान ने अपने नाम से समीर को गीत लिखने की अनुमति दे दी
समीर के गीत शुरूआती दौर में सराहे तो गए लेकिन फिल्में नहीं चला करती थी…लिहाजा समीर का संघर्ष जारी रहा
दिल फिल्म के सारे गाने सुपरहिट हो गए …दिल फिल्म के गीतों ने समीर को एक नई पहचान दिलाई
दिल के बाद फिल्म आशिकी के गानों को भी लोगों ने हाथोहाथ लिया …कह सकते हैं कि आशिकी के गानों ने समीर को सफलता के शिखर पर पहुंचा दिया
इस तरह फिल्म आसिकी की शुरुआत हुई। फिल्म के सारे गाने रिकॉर्ड कर लिए गए लेकिन जब उन्हें रिलीज करने का वक्त आया तो एक गलतफहमी की वजह से गुलशन कुमार फिल्म का म्यूजिक रिलीज करने के लिए राजी नहीं हो रहे थे
भट्ट साहब की सोच बिल्कुल सही साबित हुई और आशिकी की इन गानों की बदौलत समीर ने जमाने के अपनी कलम का कायल बना दिया
इस गानों के लिए उन्हें पहली बार सर्वश्रेष्ठ गीतकार रा पहला फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला
आशिकी से शुरु हुए सफर में फिल्म साजन के गानों ने समीर को एक अलग ही मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया
90 का दशक समीर के सपनों को सच करने वाला दशक रहा
90 में अशिकी के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला तो 1993 में दीवाना फिल्म के इस गाने ने समीर को दूसरी बार फिल्म फेयर अवॉर्ड दिला.ा
नैट-
बेस्ट सॉन्ग लिखने का सिलसिला अगले साल भी जारी रहा …1994 में हम है राही प्यार के इस गीत को फिर फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला
नदीम श्रवण के साथ समीर ने एक से बढ़कर एक रोमांटिक गीत दिए तो संगीतकार आनंद मिलिंद के साथ समीर की लेखनी का दूसरा पहलू भी लोगों को खूब पसंद आया
आनंद मिलिंद के साथ समीर ने एक से बढ़कर एक गीत हिंदी सिनेमा को दिए
जन्मभूमि उत्तर प्रदेश की भाषा ,रंग और फोक शब्दों को लेकर समीर ने खूब प्रयोग किया
गुलशन कुमार हत्याकांड के बाद समीर के जीवन में एक नया मोड़ आया
1997 का साल… समीर के लिए काफी दुख भरा रहा…पहले गुलशन कुमार की हत्या हुई और फिर पिता अंजान भी चल बसे
संगीतकार नदीम श्रवण का साथ आना समीर के लिए शोहरत की सौगात लेकर आया…आशिकी से पहले समीर ….नदीम श्रवण के लिए फिल्म इलाका के लिए लिख रहे थे…इसी फिल्म के गानों की रिकॉर्डिंग के लिए स्टूडियो में अनुराधा पौडवाल आईं थी…अनुराधा को आशिकी का गाना अच्छा लगा तो वे इन लोगों को गुलशन कुमार के पास ले गई…
जब समीर को लगा कि अब उनका बॉलीवुड में क्या होगा तब यशराज फिल्म से उन्हें बुलावा आया
हिंदी सिनेमा में गीत , संगीत का दौर बदलता रहा…2003 में संगीतकार हिमेश रेशमिया ने समीर के ही गानों पर संगीत दिया..जो काफी लोकप्रिय हुआ
समीर की पारी आज भी जारी है..फिल्मी दुनिया में कोई भी दौर रहा हो समीर का जलवा कायम है…फिल्म दर फिल्म, गीत दर गीत उनकी कलम चल रही है ….और आगे भी चलती रहे..यही दुआ है…हैप्पी बर्थडे समीर अंजान..आप जियो हजारो साल