Logo

मल्लिका-ए-तरन्नुम सुरैया

मल्लिका-ए-हुस्न कहें या मल्लिका-ए-तरन्नुम…. या मल्लिका-ए-अदाकारी….

जी हां सुर और सौंदर्य का अनोखा मेल

जी हां कुदरत के इसी मेल का नाम है सुरैया

यही वजह रही कि 40 और 50 के दशक में सुरैया ने दर्शकों के दिलों पर राज किया

कभी सुरों का जादू चलाया

कभी अभिनय से लोगों को दीवाना बनाया

तो कभी सुरों के साथ साथ अभिनय का जलवा बिखेरकर राज किया

इसी कारण से सुरैया को मल्लिका-ए-हुस्न ,मल्लिका-ए-तरन्नुम….और मल्लिका-ए-अदाकारी कहा गया

बतौर बाल कलाकार करियर की शुरुआत करने वाली सुरैया अपने माता-पिता की इकलौती संतान थीं

40 के दशक में जब वो हीरोइन बन कर आईं तो धीरे-धीरे अपने साथ की एक्ट्रेसेज़ से बहुत आगे निकल गईं और उस वक्त की हाईयेस्ट पेड एक्ट्रेस बनीं

बॉलीवुड में वो अकेली ऐसी गायिका और अभिनेत्री बन गईं थी जिसके लिए दर्शक पागलपन की हद तक चले जाते थे

सुरैया का जन्म 15 जून 1929 को लाहौर में हुआ था..1930 में ही सुरैया का परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया

सुरैया के मामा एम जुहूर …बॉलीवुड की फिल्मों में विलेन का रोल करते थे..उके साथ छोटी सी सुरैया अक्सर शूटिंग देखने चले जाती थी

कहते हैं कि फिल्म ताजमहल की शूटिंग के दौरान डायरेक्टर नानू भाई वसीम की पारखी नजर सुरैया पर पड़ी…और उन्होंने मुमताजमहल के बचपन की भूमिका के लिए सुरैया को ले लिया

बाद में सुरैया ने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट कई और फिल्मों में काम किया

1942 में आई फिल्म शारदा के लिए भी सुरैया ने गाना गाया…कहते हैं कि शारद की हीरोईन को जब पता चला कि महज 13 साल की सुरैया उनकी फिल्म के लिए गाना गाएगी तो वो बहुत नाराज़ हुईं…लेकिन आवाज़ सुनने के बाद अभिनेत्री की सारी शिकवा -शिकायत दूर हो गई

इशारा फिल्म के लिए भी सुरैया ने गाना गाया..उस दौर में के एल सहगल के साथ काम करना अपने आप में काफी मायने रखता था..सम्राट चंद्रगुप्त फिल्म के रिहर्सल के दौरान के एल सहगल ने सुरैया की आवाज सुनी…सहगल आवाज़ से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने 1945 में रिलीज हुई फिल्म तदबीर के लिए सुरैया को साइन करने की सिफारिश कर दी

इसके बाद फूल, अनमोल घड़ी जैसी फिल्मों से सुरैया का जादू चल पड़ा..

1948 से 1952 तक वो हाईयेस्ट पेड एक्ट्रेस बन गईं

इसी दौरान रिलीज हुई ..प्यार की जीत, बड़ी बहन , दिल्लगी और दस्तान जैसी फिल्मों ने शोहरत के शिखर पर बैठा दिया

आलम ये कि उनके चाहने वाले उकी एक झलक के लिए बेताब होने लगे..बड़ी बहन के प्रीमियर के दौरान तो पुलिस को लाठीचार्ज तक करना पड़ा

उस दौर में हर कोई अभिनेता भी सुरैया के साथ स्क्रीन शेयर करना चाहते थे

कहते हैं कि दिलीप कुमार भी सुरैया के फैन हो गए थे और वो भी मल्लिका-ए-हुस्न के साथ स्क्रीन शेयर करना चाहते थे..और उनकी ये ख्वाहिश को दोस्त के आसिफ ने पूरा किया। के आसिफ ने सुरैया और दिलीप को लेकर ‘जानवर’ शीर्षक से फिल्म का एलान कर दिया। शूटिंग शुरू हुई। फिल्म का एक सीन था, जिसमें सुरैया के पैर पर सांप काट लेता है और दिलीप को उनके पैरों को चूसकर सांप का जहर निकालना होता है। यह सीन पहली ही बार में पूरी अच्छी तरह से शूट हो चुका था, बावजूद इस सीन को चार से पांच दिनों तक लगातार शूट किया जाने लगा। एक दिन सुरैया समझ गईं कि दिलीप की मंशा ठीक नहीं है और इसमें निर्देशक भी उनके साथ हैं। अगले दिन जब फिर इस सीन की शूटिंग शुरू हुई तो सुरैया ने अपना पैर खींच लिया और दिलीप को भला-बुरा कह डाला और गुस्से में सेट छोड़ कर आ गईं। फिर, वह फिल्म ठंडे बस्ते में चली गई। इसके बाद सुरैया ने कई बड़े स्टार्स के साथ काम किया, लेकिन दिलीप कुमार के साथ एक भी फिल्म नहीं की।

सुरैया उस दौर में एक्टर देवानंद से काफी अटैच थे…

अगले तीन चार सालों में सुरैया और देवानंद ने जीत, शायर..अफसर, निली, दो सितारे, सनम जैसे फिल्मों में काम किया और दोनों एक दूसरे के करीब आए….

देव आनंद और दोनों की लव स्टोरी आज भी बॉलीवुड के गलियारों में गूंजते हैं…

सुरैया ने परिवार के दवाब में आकर देव आनंद को छोड़ तो दिया…

अधूरी प्रेम कहानी का असर सुरैया के करियर पर भी पड़ा…

सुरैया का करियर ग्राफ नीचे गिरता गया ..

सुरैया …देवानंद की याद में पूरी उम्र अविवाहित ही रहीं….

अकेलेपन में जीवन गुजारती सुरैया ने 74 साल की उम्र में 31 जनवरी 2004 को दुनिया को अलविदा कह दिया…

वैसे तो किसी को याद करने के लिए कोई खास दिन नहीं होता… पर आज सुरैया के फैंस अपने-अपने तरीकों से उन्हें जरुर याद कर रहे होंगे

gulzar sahab हैप्पी बर्थडे सचिन