( जन्म दिन पर विशेष)
अपने समय की बेहद खूबसूरत और दिलकश अभिनेत्री वहीदा रहमान
आज 86 बरस की हो गईं वहीदा रहमान
संजीदगी, संवेदनशीलता और सादगी की मिसाल हैं वहीदा रहमान
वहीदा रहमान ने सन 1955 में सिर्फ 17 बरस की उम्र में अपना फिल्म करियर शुरू किया था
1956 में देवानंद के साथ आई फिल्म सीआईडी वो पहली फिल्म थी जिसके जरिए वहीदा रहमान ने फिल्म इंडस्ट्री में डेब्यू किया था…
अपनी पहली ही फिल्म से वहीदा रहमान ने फैन्स के दिलों में जगह बना ली…
CID से शुरू हुआ फिल्मों का ये सफर 2006 में रंग दे बसंती तक चला…
हाल ही में वहीदा रहमान को फिल्मों में अभूतपूर्व योगदान के लिए दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्नानित करने का ऐलान किया गया है…
वहीदा रहमान के जिंदगी में ये सम्मान उस दिन आया जिस दिन उनके सबसे हिट जोड़ीदार देवानंद साहब का 100वां जन्मदिन मनाया गया…वहीदा रहमान ने उनके ही साथ बॉलीवुड में डेब्यू किया था…और उनके साथ ही उनकी सबसे सफल फिल्म गाइड भी की..
वहीदा रहमान कभी फिल्मों में नहीं आना चाहती थीं…वो डॉक्टर बनना चाहती थीं…लेकिन पिता के अचानक निधन के बाद वहीदा रहमान को फिल्मों में आना पड़ा…
13 साल की वहीदा ने तब भरत नाट्यम में महारत हासिल कर ली थी…जिसे सीखने के लिए मुस्लिम होने के बावजूद उनको अपनी कुंडली बनवानी पड़ी थी…
वहीदा रहमान ने फिल्मों में आने के लिए कभी अपने नाम को नहीं बदला जिसकी पेशकश उनके पहले डाइरेक्टर गुरुदत्त ने उनसे की थी…
वहीदा रहमान को बचपन से फोटोग्राफी का सबसे ज्यादा शौक रहा है…इसीलिए वो बचपन से ही सेट्स पर भी एक कैमरा अपने साथ लेजाया करती थीं..जिसके बारे में उन्होने अपने कई इंटरव्यू में बताया…लेकिन वहीदा रहमान ने जब अपनी ख्वाहिश ये बताई की वो स्कूबा डाइविंग सीखना टाहती हैं..तो हर कोई हैरान रह गया था..क्योंकि तब तक वो 81 की उम्र को पार करने वाली थी…
वहीदा रहमान के पिछले 67 वर्ष के करियर को देखें तो उन्होंने इस दौरान करीब 100 फिल्मों में काम किया है.
उनकी पहली हिन्दी फिल्म ‘सीआईडी’ से उनकी पिछली फिल्म ‘विश्वरूपम’ तक एक से एक शानदार और यादगार फिल्में हैं
तब भी वह औरों से बिल्कुल अलग दिखती थीं और आज भी उतनी ही अलग, उतनी ही सुंदर हैं
बॉलीवुड में तमाम प्रेम कहानियां ऐसी हैं जिनको उनके रिश्ते की मुकम्मल मंजिल मिल गई। वहीं कुछ प्रेम कहानियां ऐसी हैं जिनकी दास्तां अधूरी रह गई। कई लव स्टोरीज का अंत दुखद भी हुआ, उनको काफी कड़वे अनुभव से गुजरना पड़ा। कुछ ऐसी ही मोहब्बत रही वहीदा रहमान और गुरुदत्त की। जो चाहते हुए भी साथ नहीं आ सके और अपना प्यार नहीं पा सके
वहीदा रहमान का नाम जब भी लोगों की जुबान पर आता है तो गुरुदत्त की नाम जरूर लिया जाता है। बात उन दिनों की है जब गुरुदत्त फिल्म सीआईडी की अभिनेत्री की तलाश कर रहे थे। तब वहीदा रहमान साउथ फिल्मों की अभिनेत्री हुआ करती थीं। किसी समारोह के दौरान जब गुरुदत्त की नजर खूबसूरत वहीदा रहमान पर पड़ी तो उन्होंने वहीदा को अपनी फिल्म में स्क्रीन टेस्ट के लिए बुलाया। किस्मत ने भी साथ दिया और वहीदा स्क्रीन टेस्ट के लिए सेलेक्ट हो गईं। इसी के बाद उनका इश्क परवान चढ़ गया
1974 में कमलजीत सिंह से शादी करने के बाद वहीदा जी बैंगलोर चली गईं। उस दौरान उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ ‘कभी कभी’ और ‘अदालत’ जैसी फिल्में कीं…
यश चोपड़ा जी के कहने पर उन्होंने ‘लम्हे’ की.. फिर दस साल तक कुछ नहीं किया…. उसके बाद ‘ओम जय जगदीश’, ‘रंग दे बसंती’ और ‘दिल्ली – 6’ में काम किया…
फिल्म इंडस्ट्री में उत्कृष्ठ योगदान देने के लिए वहीदा को वर्ष 1972 में पद्मश्री और वर्ष 2011 में पद्मभूषण पुरस्कार से नवाजा गया…और अब उनके नाम दादा साहब फाल्के अवार्ड भी दर्ज हो गया है…