(जन्म दिन पर विशेष)
पीयूष मिश्रा जितने शानदार अभिनेता हैं
उतने ही अच्छे गायक और बेहतरीन लेखक भी
हिंदी सिनेमा में दो दशक से अधिक समय से अभिनय में सक्रिय पीयूष मिश्रा बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं।
यही वजह है कि गायक, लेखक, अभिनेता और निर्देशक पीयूष मिश्रा का जमाना दीवाना है
पीयूष मिश्रा अपने हर किरदार को बखूबी से निभाते हैं. आज युवाओं की एक बड़ी जमात उनकी कला को सराहते है.
पीयूष मिश्रा का जन्म 13 जनवरी 1963 को ग्वालियर में हुआ था. पिता का नाम प्रताप कुमार शर्मा था. पीयूष मिश्रा का नाम बचपन में प्रियकांत शर्मा था. उनकी बुआ तारादेवी मिश्रा ने उन्हें गोद लिया था. जिसके बाद उनका टाइटल शर्मा से मिश्रा हो गया.
पीयूष मिश्रा ने स्कूलिंग ग्वालियर के कार्मेल कॉन्वेंट स्कूल से की. वह पढ़ने में बहुत अच्छे थे. लेकिन उनकी रुचि सिंगिंग, पेंटिंग और एक्टिंग में अधिक थी. कार्मेल के बाद उनका दाखिला ग्वालियर के ही जेसी मिल्स हायर सेकेंडरी स्कूल में कराया गया
मशूहर अभिनेता, गायक और गीतकार पीयूष मिश्रा ने आत्मकथा ‘तुम्हारी औकात क्या है पीयूष मिश्रा’ में अपनी जिंदगी को लेकर कई खुलासे किए हैं. बेबाक, बिंदास और बेफिक्र पीयूष मिश्रा ने अपनी आत्मकथा में जीवन के तमाम खट् टे-मीठे अनुभवों को दर्ज किया है.पीयूष मिश्रा ने लिखा है कि उनके पिता चाहते थे कि वह डॉक्टर बनें. पीयूष मिश्रा मेडिकल साइंस फील्ड में करियर बनाएं, उनके पिता ने काफी जोर डाला. लेकिन पीयूष मिश्रा ने पढ़ाई छोड़कर 20 साल की उम्र में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) में दाखिला ले लिया.
इस तरह पीयूष मिश्रा के थिएटर और एक्टिंग के करियर का आगाज हुआ. पीयूष यह भी लिखते हैं कि वह शुरुआत में दिल्ली से थिएटर छोड़कर मुंबई नहीं जाना चाहते थे. लेकिन सारे दोस्त मुंबई पहुंच गए तो उन्हें एक दिन सपनों के शहर में जाना ही पड़ा. इसलिए उनका फिल्मी करियर थोड़ा देर से शुरू हुआ.
1995 में जब पीयूष की शादी तमिल आर्किटेक्ट प्रिया नारायणन से हुई तो उनके सब दोस्तों को लगा की वह सुधर जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ..आपको बता दें कि{ GFX IN} पीयूष और प्रिया की शादी आम शादियों की तरह नहीं थी, पीयूष ने प्रिया को उनके घर से भगा शादी की थी. उस समय पीयूष कुछ नहीं करते थे, इसके बावजूद प्रिया ने उनके साथ जिंदगी भर का साथ निभाने का वादा किया था. शादी के कई सालों बाद तक प्रिया ही घर का खर्च उठाया करती थीं
आज भले ही आप पीयूष की जिंदगी पर उनकी फिलॉसफी के कायल हो गए होंगे। लेकिन यह भी दिलचस्प है कि कभी बीते दौर में पीयूष मिश्रा खुद शराब की बुरी लत में अपनी जिंदगी तबाह कर रहे थे…. पीयूष लगातार अपने एक्टिंग करियर में स्ट्रगल कर रहे थे। शराब की लत के कारण प्रिया भी खूब परेशान रहने लगीं। खुद पीयूष भी अपनी आदत पर पछताने लगे थे। तभी उन दिनों पीयूष मिश्रा को तिग्मांशू धूलिया की बदौलत पहली फिल्म ‘दिल से’ मिली। काम मिलने के बाद पीयूष की शराब की लत में कमी तो आई, लेकिन यह अभी भी बहुत अधिक थी। ऐसे में इस लत को छुड़वाने के लिए पत्नी प्रिया ने उन्हें एक संस्था में भेज दिया।
जब पीयूष वहां से लौटे तो बिल्कुल बदल चुके थे। अब शराब की लत तो छूट ही चुकी थी, काम में उनका रुझान भी बढ़ गया था। पीयूष के करियर ने लेखक और एक्टर के तौर पर फर्राटे भरना शुरू किया
पीयूष मिश्रा के करियर की बात करें तो उन्होंने इस दौरान कई नाटक लिखे, उन पर एक्टिंग भी की, उनका लेखन और निर्देशन भी किया…साथ ही उसमे उन्होंने संगीत भी दिया. हिंदी फिल्मों जैसे; ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’, ‘गुलाल’, ‘लाहौर’, ‘टशन’, ‘आजा नचले’, आदि के कई गाने लिखे. ‘मकबूल’, ‘गुलाल’, ‘तेरे बिन लादेन’, ‘लफंगे परिंदे’, ‘दैट गर्ल इन येलो बूट्स’, ‘रॉकस्टार’, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’, ‘तमाशा’, ‘पिंक’, ‘संजू’ जैसी फिल्मों में उन्होंने एक्टिंग की. ‘गजनी’, ‘लाहौर’, ‘अग्निपथ’, ‘द लेजेंड ऑफ भगत सिंह’ जैसी फिल्मों के डायलॉग्स लिखे.पीयूष मिश्रा को फिल्म ब्लैक फ्राइडे में उनके गीत अरे ओ रुक जा रे बंदे से खास पहचान मिली थी। इसके बाद उन्होंने 2009 में फिल्म गुलाल के लिए आरंभ है प्रचंड गैंग्स ऑफ वासेपुर के लिए एक बगल में चांद होगा जैसे एक से बढ़कर एक गीत लिखे।
कुल मिलाकर कहें तो पीयूष जितने जहीन एक्टर, उतने ही महीन गीतकार, दमदार थिएटर आर्टिस्ट, बेमिसाल शायर और लाजवाब म्यूजिशियन। .जन्म दिन मुबारक हो पीयूष मिश्रा…