कई बार किस्मत सिर्फ एक मौका देती है और उससे ही इंसान की तकदीर पूरी तरह पलट जाती है.कुछ ऐसा ही गायक महेंद्र कपूर के साथ हुआ था…
फिल्मी दुनिया में एक से बढ़कर एक गायक हुए हैं उनमें से एक हैं महेंद्र कपूर…तुम अगर साथ देने का वादा करो और नीले गगन के तले गाने 50 सालों बाद भी लोगों की जुबान से नहीं उतरे हैं.महेंद्र कपूर ने कई पीढि़यों को अपनी सुरीली आवाज से दीवाना बनाया
9 जनवरी 1934 को पुंजाब के अमृतसर में महेंद्र कपूर का जन्म हुआ… बचपन से गायिकी का शौक था. इसी शौक की वजह से वह मुंबई तक पहुंच गए. हालांकि, गायिकी की दुनिया में पहचान बनाने के लिए उन्हें काफी स्ट्रगल करना पड़ा
महेंद्र कपूर ने संगीत की शुरुआती तालीम हुस्नलाल-भगतराम, उस्ताद नियाज अहमद खान, उस्ताद अब्दुल रहमान खान और पंडित तुलसीदास शर्मा से हासिल की. वह मोहम्मद रफी से काफी ज्यादा प्रभावित थे. ऐसे में उनकी तरह पार्श्वगायक बनना चाहते थे.
कहते हैं कि गायक महेंद्र कपूर जब अपनी युवा अवस्था में थे तब उन्हें हवाई जहाज में सफ़र करने का शौक़ था। वह शिद्दत से चाहते थे कि हवाई जहाज में बैठें। मगर किसी भी तरह उन्हें हवाई जहाज में सफ़र करने का अवसर नहीं मिल रहा था। ख़ैर, महेन्द्र कपूर की यह ख्वाहिश उनके भीतर पलती रही । जब महेन्द्र कपूर की इस ख्वाहिश का पता महान गायक मोहम्मद रफी को चला तो उन्होंने महेंद्र कपूर को अपने पास बुलाया।उस वक़्त महेंद्र कपूर एक सिंगिंग कॉम्पटीशन में भाग लेने जा रहे थे। मोहम्मद रफी ने महेंद्र कपूर से कहा कि अगर वो सिंगिंग कॉम्पटीशन जीत गए तो वह उन्हें हवाई यात्रा करवाएंगे। इस बात से महेंद्र कपूर का हौसला और जोश बढ़ गया। महेंद्र कपूर ने शानदार गायकी के दम पर सिंगिंग कॉन्टेस्ट जीत लिया।जब यह खबर मोहम्मद रफी तक पहुंची तो उन्होंने अपनी और महेंद्र कपूर की कोलकाता के लिए फ्लाइट टिकट बुक कराई और उन्हें हवाई जहाज से अपने कोलकाता के शो में ले गए। इस तरह महेन्द्र कपूर का हवाई जहाज में सफ़र करने का ख्वाब पूरा हुआ।
1953 में फिल्म ‘मदमस्त’ में साहिर लुधियानवी ने ‘आप आए तो ख्याल-ए-दिल-ए नाशाद आया’ गीत लिखा, जिसे महेंद्र ने आवाज दी. इसके बाद 1958 में फिल्म ‘नवरंग’ में ‘आधा है चंद्रमा रात आधी’ से उन्हें पहचान मिली.
फिल्मी करियर के दौरान महेंद्र ने तमाम नगमे गुनगुनाए, लेकिन फिल्म ‘उपकार’ का गीत ‘मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती..’ उनके करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुआ. देशभक्ति गीतों की लिस्ट में इस गीत को सबसे ज्यादा तवज्जो मिली
मेरे देश की धरती गीत के लिए उन्हें बेस्ट प्लेबैक सिंगर का राष्ट्रीय अवॉर्ड भी मिला. वहीं, 1972 में भारत सरकार ने महेंद्र कपूर को कला के क्षेत्र में अहम योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया.
महेंद्र कपूर ने अपनी आवाज का ऐसा जादू बिखेरा कि 4 दशकों तक लोगों के कानों में उनके कंठ की शहद घुलती रही और उन्हें ‘वॉयस ऑफ इंडिया’ का भी नाम दिया गया.
दरअसल बॉलीवुड के दिग्गज फिल्म मेकर बीआर चोपड़ा चाहते थे कि मोहम्मद रफी केवल उनकी फिल्मों में गायें. बीआर चोपड़ा ने जब मोहम्मद रफी से अपनी इच्छा जाहिर की तो उन्होंने मना कर दिया. मोहम्मद रफी ने अकेले बीआर चोपड़ा के साथ गाने से साफ मना कर दिया. मोहम्मद रफी की इस बात से नाराज होकर बीआर चोपड़ा ने इंडस्ट्री को मोहम्मद रफी का रिप्लेसमेंट देने का फैसला कर लिया. इसी दौरान बीआर चोपड़ा की नजर महेंद्र कपूर पर पड़ी..अब महेंद्र कपूर थोड़ा बहुत काम कर चुके थे लेकिन कोई बड़ा नाम नहीं थे
साल 1963 में बीआर चोपड़ा डायरेक्टेड फिल्म गुमराह रिलीज हुई. सुनील दत्त, अशोक कुमार और माला सिन्हा स्टारर इस फिल्म में महेंद्र कपूर ने अपनी आवाज दी. फिल्म का एक गाना ‘चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों’ 60 सालों बाद भी खूब सुना जाता है. यहीं से महेंद्र कपूर और बीआर चोपड़ा की जुगलबंदी शुरू हो गई. इसके बाद बीआर चोपड़ा ने महेंद्र कपूर से एक के बाद कई सुपरहिट गाने गवाए..
साल 1967 में रिलीज हुई फिल्म ‘हमराज’ के गाने सुपरहिट रहे..इन गानों के लिए महेंद्र कपूर को फिल्म फेयर के अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया. इसके बाद महेंद्र कपूर ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
कहते हैं कि रूस में राज कपूर काफी लोकप्रिय थे और उनकी फैन फॉलोइंग भी अच्छी-खासी थी. यहां किसी ने उनसे गाना ‘नीले गगन के ताले’ को रूसी में ट्रांसलेट करने के लिए कहा. वहां मौजूद लोग जोश से भरे हुए थे और उन्होंने महेंद्र कपूर से इस गाने को रूसी में गाने के लिए कहा. महेंद्र कपूर मंच पर आए और उन्होंने इसे रूसी में गाया और शो हिट हो गया. दरअसल राज कपूर भी देखना चाहते थे कि दोनों में से कौन यहां ज्यादा लोकप्रिय है. भीड़ का जोश देखकर राज कपूर ने महेंद्र कपूर से कहा, ‘सिर्फ एक कपूर ही दूसरे कपूर को मात दे सकता है’…राज साहब बेहद खुश थे. ताशकंद से लौटते हुए उन्होंने महेंद्र कपूर से कहा, ‘महेंद्र मैं तुम्हें अपने ऊपर पिक्चराइज होने वाले गाने नहीं दे सकता क्योंकि वो मैं पहली ही मुकेश को दे चुका हूं, मेरी फिल्म में दूसरे हीरो के लिए तुम गाने गा सकते हो और ये सिर्फ तुम ही गाओगे.’ इस बीच महेंद्र कपूर ने राज साहब को कहा, ‘पाजी, आप बड़े आदमी हो, एक बार आप भारत पहुंचोगे, आपने जो मुझे कहा है वो भूल जाओगे.राज साहब ने पलटकर जवाब दिया, ‘महेंद्र तुम्हें ऐसा लगता है?’ इसके बाद उन्होंने सिगरेट उठाई और अपने हाथ को जला लिया और कहा, ‘ये निशान मुझे याद दिला देगा कि मुझे तुम्हें काम देना है.’ वापस भारत लौटने के बाद राज साहब ने महेंद्र कपूर को संगम फिल्म का गाना ‘हर दिल जो प्यार करेगा’, ‘वो गाना गाएगा’ दिया
बीआर चोपड़ा ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट महाभारत बनाकर तैयार किया और इसका आगाज महेंद्र कपूर की आवाज से ही कराया. महाभारत सीरियल टेलीकास्ट होते ही बजने वाला ‘यदा यदा ही धर्मस्य’ श्लोक को महेंद्र कपूर ने ही अपनी आवाज दी थी.
कुल मिलाकर बॉलीवुड में महेंद्र कपूर को एक ऐसे पार्श्वगायक के तौर पर याद किया जाता है, जिन्होंने लगभग पांच दशक तक अपने रूमानी गीतों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया…